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यह दुनिया उलझती गयी

Feb 2009

मिले थे सिर्फ दो बार
ज़िन्दगी भरकी सौगात मिली
कभी ना भूल पाए
ऐसी प्यारी यादें जुड़ी
बस यूंही बातों बातों मैं
यह दुनिया उलझती गयी

चाहकर भी फिर ना मिल पाए
आखिर गलती भी हमारी थी
हमने कसम जो खायी
आपने उसे निभाई
बस यूंही बातों बातों मैं
यह दुनिया उलझती गयी

डरते हैं उस दिन से
जिस दिन आपसे टकरायेंगे
क्या पता उस दिन भी आपको
पुरानी कसमें याद आएंगी
बस यूंही बातों बातों मैं
यह दुनिया उलझती गयी

घम नहीं हमें किसी बात का
नाही कोई तकरार है
बस मिलनेकी चाहत है
और उसी दिन का इंतज़ार है
क्या कहें, बस यूंही बातों बातों मैं
यह दुनिया उलझती गयी

- Akky

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